मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले में आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाने के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आधिकारिक बयान में कहा- कई वर्षों की कानूनी लड़ाई और दोनों देशों के बीच लगातार प्रयासों के बाद यह प्रत्यर्पण संभव हो पाया। राणा के प्रत्यर्पण से आतंकी हमले में पाकिस्तान सरकार की भूमिका उजागर होने की उम्मीद है। तहव्वुर राणा को अदालत ने 18 दिन की रिमांड पर एनआईए को सौंप दिया है। उसे विशेष एनआईए कोर्ट में पेश किया गया। एनआईए ने 20 दिन के कस्टडी के मांग की है कोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है।
एनआईए की कोर्ट में दलील
एनआईए ने मुंबई हमलों के आरोपी राणा की पुलिस हिरासत को सही ठहराने के लिए उसके द्वारा भेजे गए ईमेल समेत कई पुख्ता सबूत पेश किए हैं। एजेंसी ने अदालत को बताया कि भयावह साजिश का पर्दाफाश करने के लिए हिरासत में पूछताछ जरूरी है। जांचकर्ता घातक आतंकी हमलों को अंजाम देने में राणा की भूमिका की भी जांच करेंगे। एनआईए ने बताया कि आपराधिक साजिश के तहत आरोपी नंबर 1 डेविड कोलमैन हेडली ने भारत आने से पहले तहव्वुर राणा के साथ पूरे ऑपरेशन पर चर्चा की थी। संभावित चुनौतियों का अनुमान लगाते हुए हेडली ने राणा को अपने सामान और संपत्तियों का ब्यौरा देते हुए एक ईमेल भेजा। उसने राणा को साजिश में इलियास कश्मीरी और अब्दुर रहमान की संलिप्तता के बारे में भी बताया।
एनआईए मुख्यालय के बाहर भारी सुरक्षा व्यवस्था
दिल्ली में एनआईए मुख्यालय के बाहर भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई। तहव्वुर राणा को पटियाला हाउस कोर्ट में लाया गया। एनआईए ने उसे विशेष एनआईए कोर्ट में पेश किया, जहां उसकी हिरासत कार्यवाही पर बहस चली। राणा को विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के न्यायाधीश चंद्रजीत सिंह के समक्ष पेश किया गया, जो वर्तमान में राणा की हिरासत कार्यवाही पर दलीलें सुन रहे थे। वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन और विशेष लोक अभियोजक नरेंद्र मान ने एनआईए की ओर से पैरवी की।
तहव्वुर राणा को लेकर क्या कहती हैं किरण बेदी
मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण पर पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने एएनआई से कहा, ‘तिहाड़ जेल में पहले भी खूंखार अपराधी, अलगाववादी और आतंकवादी रह चुके हैं। राणा के मामले में असाधारण उपायों की आवश्यकता है। मेरा सुझाव है कि कई सावधानियों पर विचार किया जाना चाहिए…एकांत, उच्च निगरानी कारावास, अंतर-एजेंसी निगरानी…यदि संभव हो तो, एआई-सहायता प्राप्त निगरानी। साथ ही, इस तरह के वैश्विक रूप से हाई-प्रोफाइल आतंकवादी संदिग्ध को ले जाते और उस पर मुकदमा चलाते समय, बहुत महत्वपूर्ण सुरक्षा उपायों को शामिल किया जाना चाहिए। इसमें फर्जी हथियारों से लैस काफिले, वर्चुअल ट्रायल, कर्मचारियों की पृष्ठभूमि की जांच और अदालत कक्ष की किलेबंदी शामिल हो सकती है…भारत के जेल बुनियादी ढांचे को वैश्विक मानकों को पूरा करने के लिए आधुनिकीकरण की आवश्यकता है…सही उन्नयन और खुफिया जानकारी के साथ, कानूनी सुरक्षा उपायों, तकनीकी बुनियादी ढांचे और रणनीतिक दूरदर्शिता की एक समन्वित प्रणाली स्थापित करना आवश्यक है।’