धरती से अंतरिक्ष तक महिलाओं का परचम

मधुलिका सिंह
लेखिका, पत्रकार

भारतीय संस्कृति में नारी को हमेशा देवी का रूप माना गया है। चाहे वो दुर्गा की शक्ति हो या सीता की सहनशीलता, सावित्री की दृढ़ता हो या गार्गी की विद्वत्ता— पौराणिक काल से ही नारी ने समाज को दिशा देने का कार्य किया है। लेकिन इन देवी-स्वरूप नारियों की असली विशेषता ये थी कि वे साधारण परिवेश से निकलकर असाधारण कार्यों की प्रेरणा बनीं।

https://rajasthantoday.online/may-2025-3#flipbook-df_1698/1/

आज के आधुनिक भारत की महिलाएं भी उसी परम्परा की वाहक हैं। कभी रसोई तक सीमित मानी जाने वाली महिलाएं अब अंतरिक्ष तक अपना परचम लहरा रही हैं। कल्पना चावला ने जब अंतरिक्ष में कदम रखा था, तो वह न सिर्फ भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री बनीं, बल्कि करोड़ों लड़कियों के लिए वह सपना बन गईं, जिसे पूरा किया जा सकता है। हरियाणा के एक छोटे से शहर की बेटी ने यह साबित कर दिया कि सपनों की कोई सीमा नहीं होती।

किसी भी मंच पर पीछे नहीं हैं महिलाएं

इसी कड़ी में हाल ही में भारत की एक और बेटी, सुनीता विलियम्स ने फिर अंतरिक्ष से लौटकर यह संदेश दिया कि भारतीय महिलाएं आज किसी भी मंच पर पीछे नहीं हैं। भले ही सुनीता का जन्म अमेरिका में हुआ, लेकिन उनकी जड़ें भारत से जुड़ी हैं और उनका गौरव भी हर भारतीय के दिल में बसता है। उन्होंने अंतरिक्ष में सबसे लम्बा समय बिताने वाली महिला बनकर इतिहास रच दिया। इनके अलावा भी भारतीय महिलाएं मिसाल कायम कर रही हैं जैसे-

नीता अंबानी – एक समय सिर्फ एक गृहिणी मानी जाने वाली नीता आज भारत की सबसे प्रभावशाली महिलाओं में शुमार हैं। शिक्षा, खेल और समाजसेवा के क्षेत्रों में उन्होंने अपने योगदान से नए मानदंड स्थापित किए हैं।
कमला हैरिस – कमला की मां भारतीय थीं, आज अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति हैं। उन्होंने न सिर्फ अमेरिका में, बल्कि पूरी दुनिया में महिलाओं की नेतृत्व क्षमता का अद्भुत उदाहरण पेश किया है।
गीता गोपीनाथ – अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की उप प्रबंध निदेशक गीता वैश्विक अर्थव्यवस्था को दिशा देने में प्रमुख भूमिका निभा रही हैं।
फाल्गुनी नायर -फाल्गुनी ने 50 की उम्र में अपनी कंपनी नायका (Nykaa) की स्थापना की और उसे एक अरब डॉलर से अधिक की वैल्यू पर पहुंचाया।
अवनी चतुर्वेदी – भारतीय वायुसेना में फ्लाइट लेफ्टिनेंट अवनी ने इतिहास रचा, जब वह मिग-21 लड़ाकू विमान उड़ाने वाली भारत की पहली महिला पायलट बनीं। उनके साथ भावना कांत और मोहना सिंह ने भी फाइटर पायलट के रूप में भारतीय महिलाओं को एक नया आसमान दिया।

वर्क फोर्स में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी: वर्ष 2023-24 में भारत की कुल कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी 41.7% तक पहुंच गई है, जो 2017-18 में 23.3% थी। यह एक सकारात्मक वृद्धि है, जो महिलाओं की बढ़ती सहभागिता को दर्शाती है।

नेतृत्व क्षमता भी कम नहीं: भारत में 36.5% वरिष्ठ प्रबंधन पदों पर महिलाएं कार्यरत हैं, जो 2004 में 11.7% थी। यह तीन गुना वृद्धि को दर्शाता है।

हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं महिलाएं: बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस (BFSI) सेक्टर में महिलाओं की भागीदारी 24.5% है। एफएमसीजी सेक्टर में यह आंकड़ा 21.5% है। प्रोफेशनल सर्विसेज में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 46% तक पहुंच गया है।

विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) में महिलाएं: भारत में STEM स्नातकों में महिलाओं की दर 42.7% है, जो कई विकसित देशों से अधिक है। हालांकि, इन क्षेत्रों में महिलाओं की रोजगार दर 17.35% है।

विदेशों में भारतीय महिलाओं की भागीदारी

वैश्विक कार्यबल में भारतीय महिलाएं: वैश्विक स्तर पर, भारतीय महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। कमला हैरिस अमेरिका की उपराष्ट्रपति हैं, और गीता गोपीनाथ IMF की उप प्रबंध निदेशक हैं।

नेतृत्वकारी पदों पर महिलाएं: वैश्विक स्तर पर, कंपनियों में CEO पद पर महिलाओं की भागीदारी 21.7%, COO पद पर 25.5%, CFO पद पर 44.6%, CIO पद पर 22.8%, और CTO पद पर 22% हैं।

Advertisement

spot_img

वॉर से ज्यादा अचूक स्ट्रैटेजिक वार

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए बर्बर आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देने के लिए 15 दिनों का समय लिया। इस दौरान दुनियाभर के सवाल भारत की सरकार और सेना पर उठते रहे, लेकिन आतंक और आतंक के आकाओं को मिट्‌टी में मिलाने का काम ठोस नीति और रणनीति को तैयार करने के बाद 7 और 8 मई की आधी रात को पूरा किया गया।

इंतजार..

एक लघु कथा- संतोष जी के न आने से बड़ी दिक्कत हुई। मगर मुझे लगा ऐसी स्थिति में उनकी जगह किसी और को रखना भी ठीक नहीं, जबकि उनकी समधन काम मांगने आ गई थी। दो और औरतें भी चाह रही थीं कि उनकी जगह उनको काम पर रख लूं। संतोष जी की आर्थिक स्थिति कमजोर और ऊपर से बीमार। मुझे लगा उनसे बात करने के बाद ही अगला कदम उठाऊंगी।

मातम में बदला जश्न

पहली बार आईपीएल  का खिताब जीतने वाली रॉयल चैलेंजर बेंगलुरु का जीत का जश्न मातम में बदल गया। विजेता टीम के स्वागत में बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर जमा हुए करीब तीन लाख लोगों की भीड़ के बीच अचानक भगदड़ मच गई और 11 लोगों की मौत हो गई।

पारिवारिक फिल्मों के चितेरे शक्ति सामन्त

शम्मी जैसे बड़े स्टार के मुंह पर कहने वाले एक बड़े डायरेक्टर रहे हैं, जिनका नाम है, शक्ति सामंत। वही शक्ति सामंत, जिन्होंने राजेश खन्ना की सुपरहिट फिल्मों ‘आराधना’, ‘कश्मीर की कली’ सहित 40 से ज्यादा हिंदी और बंगाली मूवीज डायरेक्ट की थीं।

धार्मिक पर्यटन से बदलती तकदीर

पहले माना जाता था कि जो लोग बुजुर्ग हो गए हैं, वे ही धार्मिक स्थलों की यात्रा करते हैं, लेकिन अब ये मिथक भी टूट चुका है। बुजुर्गों से ज्यादा युवा अब धार्मिक स्थलों पर पहुंच रहे हैं। मंदिरों व अन्य धार्मिक स्थलों की यात्रा करने वालों में बड़ी संख्या में लड़के और लड़कियां दिखेंगे। ये इंटरनेट और सोशल मीडिया का ज़माना है, इसलिए तस्वीरें-रील्स बनाने वाली जनरेशन भी धार्मिक स्थलों पर जा रही है।

अब न खेत चाहिए, न खाद

व्यंग्य : राजस्थान में मिट्टी भी मिलावटी ‘सोना’ है!बलवंत राज मेहता,वरिष्ठ पत्रकारअब खेती में उर्वरक ज़मीन और असली खाद की ज़रूरत नहीं रही, जनाब!...

राष्ट्र में फिर ‘महाराष्ट्र’

यदि एनसीपी के दोनों गुटों का विलय हो जाता है तो इसका न सिर्फ महाराष्ट्र, बल्कि देश की राजनीति पर भी साफ असर दिखेगा। कारण कि एक हुई एनसीपी भाजपानीत एनडीए का हिस्सा बनती है तो मोदी सरकार का बहुमत 300 के पार पहुंच जाएगा और विपक्ष के इंडी गठबंधन में यह कदम ताबूत में आखिरी कील साबित हो सकता है।

तूफान ‘साइक्लोनर’ का

साइक्लोनर टीम अस्तित्व में आने के बाद से देश के अलग अलग कौनों में बैठे मादक पदार्थ के तस्करों तक पहुंच कर इन्हें गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल कर रही है।

क्रिकेट की दीवानगी या सामाजिक दिवालियापन?

क्रिकेट की लोकप्रियता अब राष्ट्र की उत्पादकता, शिष्टाचार और संवेदनशीलता को निगलने लगी है। किसी भी खेल के प्रति प्रेम स्वाभाविक है, लेकिन जब वह खेल सामाजिक विकृति और सरकारी कर्तव्यों के हरण का कारण बन जाए, तब आत्ममंथन आवश्यक हो जाता है।

सावधान, ई-रसीद धारी यातायात पुलिस मुस्तैद हैं

राज्य के अधिकांश शहरों में प्रायः हर चौराहे पर ई-रसीद की मशीन लिए यातायात पुलिसकर्मी मुस्तैद खड़े नजर आते हैं। लगता है जैसे उनका प्रमुख कार्य अब यातायात को नियंत्रित करना नहीं, बल्कि चालान काटकर राजस्व संग्रह करना रह गया है।

सियासत और अकर्मण्यता की भेंट चढ़ रहा एक सपना

बाड़मेर राजस्थान का सीमावर्ती जिला, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, रेगिस्तानी खूबसूरती और तेल भंडारों के लिए जाना जाता है, पिछले कुछ समय से एक अनूठे अभियान के लिए चर्चा में है। पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार दुर्गसिंह राजपुरोहित का आंकलन,,

राजनीति नहीं, एकजुटता दिखाने का वक्त

भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां ऑपरेशन सिंदूर को अपने पक्ष में भुनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी व कांग्रेसाध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे कभी ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठाते हैं तो कभी पाकिस्तान को पहले सूचना दे दिए जाने की बात पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं।

आक्रोश नहीं, समर्थ भारत का नया रूप

भारतीयों के खून से खेलना पाकिस्तान को महंगा पड़ेगा। ये भारत का संकल्प है और दुनिया की कोई ताकत हमें इस संकल्प से डिगा नहीं सकती है। अगर पाकिस्तान ने आतंकियों को सपोर्ट करना जारी रखा, तो उसको पाई-पाई के लिए मोहताज होना होगा।

बेनकाब हुए दोस्ती का दंभ भरने वाले

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत कूटनीतिक रूप से बहुत बदल गया। खासकर ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने तो भारत को इतने कड़वे अनुभव दिए कि यह स्पष्ट हो गया कि घर के अंदर और बाहर कौन साथ में खड़ा है और कौन नहीं?

पाक की नापाक हरकतें थमना कठिन

भारत ने पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूत करके और 100 से ज्यादा आतंकियों का सफाया करके पाकिस्तान के झूठ को एक बार फिर एक्सपोज कर दिया है।

परमाणु छाते के पार एक भारतीय सूर्योदय

सटीकता के साथ किया गया सैन्य हस्तक्षेप, संयमित शक्ति प्रदर्शन और सीमित समय में ऑपरेशन की समाप्ति— यह सब इस ओर इशारा करता है कि अब भारत ‘सहने’ के युग से निकलकर ‘कहने और करने’ के युग में प्रवेश कर चुका है।

वैश्विक मंचों पर भारत की निर्णायक आवाज

राकेश गांधी,वरिष्ठ पत्रकारपाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कार्रवाई के बाद भारत ने जिस सजगता और रणनीतिक स्पष्टता के साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने अपना...

‘अब हम अपना कटोरा और बड़ा करेंगे’

सियासत और अदावत में कमजोर शरीफ इस मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान से दो कदम आगे ही हैं। इतना ही नहीं वे युद्ध और शांति जैसे अहम मुद्दे पूल में स्वीमिंग करते हुए तय करते हैं!

इतिहास के संदूक से गहलोत की दूरबीन

अशोक गहलोत राजनीति के वो अनुभवी नाविक हैं, जिनकी नाव चाहे कितनी ही बार राजस्थान की लहरों में हिचकोले खा ले, लेकिन जब भी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय सागर में कोई तूफान उठता है, वो तुरंत अपनी दूरबीन लेकर मचान पर चढ़ जाते हैं।

बेतुके बयानों से बवाल

समझ में नहीं आ रहा कांग्रेस को क्या होता जा रहा है। कभी उसके नेता बिना सिर-पैर की बातों से बवाल खड़ा कर देते हैं तो कभी ऐसे ही बयानों की बदौलत कांग्रेस के हाथों में आती बाजी फिसलती नजर आती है।