कार्यकर्ता बोले, "मैडम! नल है, मगर जल नहीं!" जवाब में वसुंधरा जी का गुस्सा यूं फूटा, जैसे सूखी धरती पर अचानक बादल गरज उठे हों। उन्होंने अफसरों को ऐसा निचोड़ा, जैसे किसी पुराने नल से आखिरी बूंद निचोड़ी जाती है।
संयम लोढ़ा की राजनीति किसी कसीदाकारी की तरह महीन नहीं, बल्कि एक धारदार तलवार की तरह है— सीधी, पैनी और कभी-कभी बेलगाम। उनकी राजनीति में विचारधारा से ज्यादा आक्रामकता और बयानबाजी का तड़का देखने को मिलता है।