वर्ष 1914 में, तैस्सितोरी बीकानेर पहुंचे। एक विदेशी, जो उस भाषा के प्रेम में खिंचा आया था, जिसे तब भारत में भी उचित मान्यता नहीं मिली थी। बीकानेर की हवाओं में जैसे कोई पुरानी पहचान थी, यहां की धूल में शायद कोई पुराना रिश्ता।
महाकुंभ की भव्यता देखते ही बनती है। समूचा मेला क्षेत्र लगभग 40 किलोमीटर के दायरे में समाया हुआ है। वैसे तो हर कुंभ-महाकुंभ में कुछ साधु-महात्मा को महामण्डलेश्वर की उपाधि प्रदान करने की परंपरा रही है, तो कुछ लोग सनसनी बनते रहते हैं।
धरोहर
बलवंत मेहतावरिष्ठ पत्रकार……………..मीरा̐बाई:
भक्तिकाल की अद्वितीयकाव्य साधिका
कृष्ण भक्ति की प्रतीक और अनछुए ऐतिहासिक तथ्य………………..
मीरा̐बाई, भारतीय भक्ति साहित्य की अमर विभूति, इतिहास, भक्ति और समाज के...