पहलगाम हमले का जवाब- ‘ऑपरेशन सिंदूर’
सुरेश व्यास
वरिष्ठ पत्रकार एवं रक्षा विशेषज्ञ
धारा 370 हटने के बाद ‘आजाद सांस’ ले रहे धऱती के स्वर्ग जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल की दोपहर हुए वीभत्स आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई। इसके बाद भारत और पाकिस्तान में चरम पर पहुंचे तनाव और हिंदुस्तान भर के लोगों में गुस्से के उबाल के बीच भारत ने आखिर बदले की ओर एक कदम बढ़ा ही लिया। बर्बर ढंग से 26 महिलाओं का उनके व बच्चों के सामने सिंदूर उजाड़ने वाले आतंकियों पर भारत का गुस्सा कहर बनकर टूटा और हमले के 15 दिन बाद ही सीमा पार स्थित नौ ठिकानों पर एक साथ मिसाइल अटैक कर आतंकियों के ठिकाने नैस्तनाबूद कर दिए गए। भारतीय वायुसेना के जवानों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पार किए बिना प्रक्षेपास्त्रों के जरिए ऐसा धावा बोला कि पाकिस्तान और आतंक के आकाओं को भनक तक नहीं लग सकी। भारत ने भारतीय महिलाओं का सिंदूर उजाड़ने वाले हमले का जवाब भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए ही दिया।
6 और 7 मई की दरम्यानी रात एक बजकर 5 मिनट से एक बजकर 30 मिनट तक की गई एयर स्ट्राइक की गूंज न सिर्फ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके), बल्कि पाकिस्तान पंजाब प्रांत के बहावलपुर तक सुनाई दी। स्ट्राइक के लगभग नौ घंटे बाद भारत ने सम्भवतः 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद पहली बार हुई भारतीय सशस्त्र बलों की पहली संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में दो जांबाज महिला अधिकारियों को सामने कर दुनिया को एक खास संदेश भी दिया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ भारतीय थल सेना की कर्नल सफिया कुरेशी और भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने कहा कि एयर स्ट्राइक में पाकिस्तान स्थित आतंकियों के नौ ठिकाने बर्बाद किए गए, जहां आतंकियों को ट्रेनिंग देकर भारत में आतंक फैलाने के लिए तैयार किया जाता था और अलग- अलग जगहों के लॉन्च पैड से आतंकियों को भारत में दाखिल करवाया जाता था।
विदेश सचिव मिस्र कहते हैं कि भारत ने पहलगाम की आतंकी घटना के बाद ऐसा करके अपने अधिकारों का इस्तेमाल किया है। घटना के बाद पाकिस्तान ने अनर्गल बयानबाजी और आरोप लगाने के अलावा कुछ नहीं किया, जबकि उसे आतंकियों को नियंत्रित करने की कार्रवाई करनी चाहिए थी। भारत को लगातार ऐसे और आतंकी हमलों की खुफिया जानकारी मिल रही थी। पाकिस्तान की अकर्मण्यता और निष्क्रियता को देखते हुए भारत को सम्भावित आतंकी हमलों को टालने के लिए अपने अधिकार का इस्तेमाल करना पड़ा।
संसद और मुम्बई पर आतंकी हमलों से लेकर ऊरी, पुलवामा और पहलगाम के आतंकी हमलों का उल्लेख करते हुए भारत की ओर से कहा गया कि अब तक पाकिस्तान पोषित आतंक 300 से ज्यादा निर्दोष लोगों की जान ले चुका है और इन हमलों में 800 से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं। पाकिस्तान आतंकियों की शरणस्थली है, यह दुनिया के सामने कई बार साबित हो चुका है। पहलगाम में जिस बर्बर तरीके से निर्दोष लोगों को उनके परिजनों के सामने सिर में गोलियां मारी गई, यह दर्शाता है कि पाकिस्तान कैसे कश्मीर में सामान्य हो रहे हालात को पचा नहीं पा रहा। लश्कर-ए-तैयब्बा और हिज्बुल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठन द रेजिस्टेंट फ्रंट (टीआरएफ) जैसे संगठनों का नकाब पहन कर आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। इसका जवाब दिया जाना जरूरी है।
ये तो केवल झांकी है…
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक तो केवल झांकी है। इसमें पाकिस्तान के किसी भी सैन्य ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया और न ही किसी नागरिक को मारा गया है। भारत की एयर स्ट्राइक पूर्णतः पेशेवराना ढंग से अंजाम दी गई। पाकिस्तान हालांकि इससे बौखलाया हुआ है और पुराने वीडियो शेयर करके भारत को नुकसान पहुंचाने का दावा कर रहा है, लेकिन नहीं लगता कि वह बदले में किसी भारतीय सैन्य ठिकाने की तरफ आंख उठाएगा, कारण कि वह जानता है कि इसका नतीजा युद्धक बर्बादी हो सकता है और वह फिलहाल उसे झेलने की स्थिति में है नहीं।
पूरी घेराबंदी के बाद एक्शन
रक्षा विशेषज्ञ कर्नल मनीष ओझा (सेवानिवृत्त) का मानना है कि भारत ने पहलगाम हमले का बदला पाकिस्तान की पूरी कूटनीतिक घेराबंदी के बाद ही लिया है। हमले के तुरंत बाद जिस तरह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का बयान आया और भारत के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अमेरिकी सेक्रेट्री ऑफ स्टेट रूबियो से बात हुई, उसे देखकर लगता है कि भारत ने न सिर्फ अमेरिका, बल्कि अन्य देशों को भी इस कार्रवाई से पहले विश्वास में लेने की कोशिश की होगी। हाल ही पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के महानिदेशक को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाना भी इंगित करता है कि अमेरिका जैसे देश पाकिस्तान को ज्यादा आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश में है। इसके अलावा भारत ने देश के सामने एयर स्ट्राइक का ब्यौरा रखने से पहले कई इस्लामिक देशों को भी जानकारी दे दी। एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि पहलगाम हमले के बाद जिस तरह से भारत के लोगों में गुस्सा था, उसे देखते हुए सरकार हर कदम सोच समझ कर उठा रही थी और मौका भांपकर ही पाकिस्तान को सटीक जवाब दिया गया है। पाकिस्तान की सच्चाई दुनिया के सामने आ चुकी है और यहां तक कि सऊदी अरब जैसे मुस्लिम देश भी पाकिस्तान की हरकतों को पहचान चुके हैं। इस अधिकारी का कहना था कि भारत के पास दो या तीन विकल्प ही थे। पहला विकल्प एयर स्ट्राइक जैसा कदम था और दूसरा विकल्प दो-तीन महीनों का इंतजार, जब घाटियों में बर्फ जमने लगती। सर्दियों के मौसम में पाकिस्तान के लिए चीन जैसे देश की मदद लेना भी मुफीद नहीं होता। ऐसे में भारत ने इंतजार की बजाए पहले विकल्प को चुना जरूर है, लेकिन वह हर किसी स्थिति का सामना करने के लिए अब भी तैयार है।
जारी है कूटनीतिक सर्जिकल स्ट्राइक
वैसे तो पहलगाम के नामी पर्यटक स्थल बैसरन घाटी में कत्ले आम के तुरंत बाद मोदी सरकार हरकत में आ गई थी और खुद मोदी अपना सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़ कर दिल्ली लौट आए। इसी दिन भारत ने पाकिस्तान पर ‘कूटनीतिक सर्जिकल स्ट्राइक’ कर दी और पाकिस्तान से राजनयिक व व्यापारिक सम्बन्ध तोड़ने के साथ पाकिस्तानी नागरिकों को बाहर निकालने के साथ 1960 में हुए सिंधु जल समझौते को स्थगित करने जैसे कदम उठा लिए गए। पहलगाम हमले के बाद बिहार में अपनी पहली ही आमसभा में प्रधानमंत्री ने साफ कहा कि इस घटना का ऐसा प्रतिशोध लिया जाएगा, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं होगी। इसके बाद से लोगों के मन में सवाल पर सवाल उमड़ रहे थे कि आगे होगा क्या? कहां होगा, कैसे होगा?
क्यों हुआ पहलगाम हमला
कश्मीर से धारा 370 हटने और कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा स्थगित कर उसे केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद से सरकार लगातार दावे कर रही थी कश्मीर से दहशतगर्दी को खत्म कर दिया गया है। पिछले ही साल विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री ने अपने दौरे में कहा था कि अब तो कश्मीर के लोग आजादी से सांस ले रहे हैं। पर्यटन के साथ स्थानीय लोगों का काम धंधा भी फलने-फूलने लगा है। सरकार ने कितनी ही बार संसद में दिए गए जवाबों में भी दावा किया कि आंतकी घटनाएं लगभग खत्म प्रायः हो गई है और लोग बेखौफ होकर पर्यटन के लिए कश्मीर आ-जा रहे हैं। पर्यटकों की संख्या पिछले दो साल में ही डेढ़ करोड़ से बढ़कर इस साल अब तक ढाई करोड़ के करीब पहुंच जाने के आंकड़ों के पुट के साथ ये दावे बैसरन की घटना के दो दिन पहले तक होते रहे, तो सवाल उठता है कि ये हमला कैसे हो गया? क्या सरकार ने मान लिया था कि अब कोई आतंकी बंदूक चलाने की हिम्मत नहीं जुटा सकेगा? यदि ऐसा नहीं था तो कश्मीर का स्विटजरलैंड कहे जाने वाले बैसरन में सुरक्षा व्यवस्था को क्यों भुला दिया गया? घटना के बाद सर्वदलीय बैठक में भी यह सवाल उठा और सरकार ने भी माना कि कहीं न कहीं चूक तो रही है, लेकिन टार्गेट किलिंग जैसी इस घटना ने इसे और भी अहम बना दिया। कुछ पर्यटकों के दावे के आधार पर कहा गया कि आंतकियों ने धर्म और जाति पूछकर लोगों को निशाना बनाया। सिर्फ पुरुषों को कत्ल किया गया। वह भी ऐसे वक्त में जब अमेरिका के उप राष्ट्रपति जे.डी. वैंस भारत की यात्रा पर थे, ताकि वैश्विक स्तर पर दब सा गया कश्मीर मुद्दा फिर दुनिया में प्रमुखता से गिना जा सके।
अतिआत्मविश्वास का नतीजा
बिना किसी संदेह के कहा जा सकता है कि आतंकियों को पाकिस्तान में बैठे आका निर्देशित कर रहे थे। पाकिस्तानी फौज और आतंकी संगठनों के प्लान के हिसाब से पहलगाम हमले को अंजाम दिया गया, लेकिन कई विशेषज्ञ मोदी सरकार की कश्मीर नीति पर भी सवाल उठाते हैं। इनका कहना है कि धारा 370 हटने के बाद कश्मीर में जरूर आधारभूत विकास में तेजी आई है। अनिश्चितता के बादल छंटने लगे। पर्यटकों की संख्या भी बढ़ी है, लेकिन आतंकी घटनाएं खत्म होने के मामले में सरकार अतिआत्मविश्वास में ही रही और छिटपुट घटनाएं होती रही और सरकार कहती रही कि अब हालात सामान्य है। इससे देश के अन्य हिस्सों से लोग सैर सपाटे के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे भी, लेकिन सुरक्षा बलों के बेहतरीन इस्तेमाल पर जैसे अतिआत्मविश्वास की गर्द चढ़ती रही और आतंकियों ने मौके का फायदा उठा लिया।
अब प्रश्न उठता है कि आखिर हमला क्यों हुआ और क्या इसे सुरक्षा में चूक माना जाए। कश्मीर मामलों की जानकार और वरिष्ठ पत्रकार अनुराधा भसीन अचम्भा जताती है कि पहली बार उन्होंने देखा-सुना कि पहलगाम के प्रमुख पर्यटन स्थल के आस-पास सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं थे। वे इस बात पर भी संदेह खड़ा करती हैं कि देरी से पहुंचे सुरक्षाकर्मियों ने कुछ घंटे बाद ही हमलावर आतंकियों के नाम और स्कैच जारी कर दिए। वे कहती हैं कि सुरक्षा एजेंसियों ने कभी इस इलाके से आतंक खत्म होने की बात नहीं की। वे हालात को नियंत्रण में ही बताते रहे, लेकिन राजनीतिक रूप से यह ज्यादा प्रचारित हुआ कि अब कश्मीर से आतंक पूरी तरह खत्म हो चुका है। जबकि हकीकत है कि कश्मीर में नजर आ रही शांति सुरक्षा बलों के नियंत्रण के कारण ही नजर आ रही थी।
भारत का तगड़ा सन्देश
भारत ने पहले तो 26 महिलाओं का सिंदूर उजाड़ने वालों के घर में घुसकर उन्हें मारा। फिर इसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया और अब भारतीय सेना की दो जांबाज महिला अधिकारियों को प्रेस ब्रीफिंग के लिए भेजा गया। आज के समय में प्रतीक अधिक मायने रखते हैं। आप क्या कहते हैं और क्या दिखाते हैं, इससे आपने जो करते हैं उसका उद्देश्य और मजबूत होता है।
सोफिया कुरैशी – 2016 में पुणे में डेढ़ दर्जन देशों के संयुक्त युद्धाभ्यास ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’ में 40 सदस्यीय भारतीय दल का नेतृत्व करके सुर्ख़ियों में आई थीं। शॉर्ट सर्विस कमीशन के दौरान जब 1999 कारगिल युद्ध में वो सेना में शामिल हुई थीं, तब उनकी उम्र महज 17 वर्ष थी। उनके दादा भी भारतीय सेना में रहे हैं। पति मेकेनाइज्ड इन्फेंट्री में सैन्य अधिकारी हैं।
व्योमिका – नाम से ही समझ जाइए। बचपन से सपना था उड़ने का। माता-पिता ने नाम भी ‘व्योम’ से रखा। एनसीसी में शामिल होने के बाद इंजीनियरिंग की और भारतीय वायुसेना में हेलीकॉप्टर पायलट बनीं। सोफिया कुरैशी के उलट व्योमिका सिंह सेना में शामिल होने वाली पहली सदस्य हैं अपने परिवार की। 2500+ फ़्लाइंग अवर्स का अनुभव रखने वाली व्योमिका 2020 में अरुणाचल प्रदेश के कठिन भौगोलिक क्षेत्रों में राहत-बचाव अभियान चला चुकी हैं। 21,650 फ़ीट ऊपर स्थित मणिरंग शिखर पर पर्वतारोहण कर चुकी हैं।
सियासी पहल पर ध्रुवीकरण का मुल्लमा
फिर क्या कारण रहा कि इतना बड़ा आतंकी हमला पहलगाम में हो गया? इस पर कश्मीर मामलों पर नजदीक से नजर रखने वाले पत्रकार आनंद मणि त्रिपाठी कहते हैं कि सरकार ने धारा 370 हटाने का राजनीतिक फैसला तो कर लिया और इसके आधार पर कई बड़े दावे भी लगातार किए जाते रहे, लेकिन सरकार की राजनीतिक पहल में ध्रुवीकरण ज्यादा रहा। भाजपा के नेता लगातार ऐसे बयान देते रहे हैं, जिससे मुस्लिम आबादी में अलगाव पैदा होता है और हिन्दू आबादी उत्तेजित। उनका कहना है कि असल में आतंकी भी यही चाहते हैं कि हिन्दू-मुस्लिम एकता को निशाने पर लिया जाए। इसी को आतंकियों ने जिहाद का सहारा बना रखा है। पहलगाम हमले में भी यही दृष्टिगोचर होता है। हालांकि इस बार स्थानीय कश्मीरियों से आतंकियों को वह समर्थन नहीं मिल रहा और साम्प्रदायिक तरीके से की गई हत्याओं से इनमें भी रोष है।
हर पहलू पर नजर जरूरी
बहरहाल, पहलगाम हमले के बाद से भारत-पाकिस्तान में तनाव चरम पर है। आम लोग भी मान चुके हैं कि हमले का रिमोट पाकिस्तान में बैठे आतंकी आकाओं और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के हाथों में था, लेकिन निशाना सैलानियों को ही क्यों बनाया गया, यह पहेली सुलझना आसान नहीं है। भले ही हम मान लें कि कश्मीर और सीमा पार सक्रिय आतंकियों के बीच अब टैरर का हमास मॉडल पहुंच गया है। आपको याद दिला दें कि इस्रायल और हमास की जंग के बीच साल 2023 में पहली बार हमास ने ही इस्रायल के नोवा म्यूजिक फेस्टिवल में आम लोगों और पर्यटकों को निशाना बनाया था, ताकि आम लोगों की भावनाओं को भड़काया जा सके।
ये आतंकी ठिकाने हुए ध्वस्त
1- बहावलपुर- अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 100 किलोमीटर दूर, जहां है जैश-ए-महुम्मद का मुख्यालय
2- मुरीदके- साम्बा से 30 किलोमीटर दूर लश्कर-ए-तैयबा का शिविर, जहां से मुम्बई हमले के आतंकी पहुंचे थे
3- गुलपुर- नियंत्रण रेखा पर पुंछ-राजौरी से 35 किमी दूर ठिकाना, जहां से पिछले साल तीर्थयात्रियों की बस को निशाना बनाया गया
4- सवाई नाला- पाक अधिकृत कश्मीर के पास तंगधार सेक्टर से करीब 30 किमी दूर लश्कर का ठिकाना, जहां से पहगाम हमले के आतंकी आए थे
5- बिलाल- लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी लॉन्च पैड
6- कोटली- राजौरी के पास नियंत्रण रेखा से करीब 15 किमी दूर लश्कर के कैम्प में करीब 50 आतंकी जमा थे
7- बरनाला- राजौरी के पास नियंत्रण रेखा से दस किमी दूर आतंकी कैम्प
8- सरजाल- सांबा-कठुआ के पास अन्तरराष्ट्रीय सीमा से करीब 8 किमी दूर जैश-ए-मुहम्मद का आतंकी शिविर
9- महमूना- सियालकोट के पास अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किमी दूर हिज्बुल का प्रशिक्षण शिविर