मोदी ने जो कहा, वो कर दिखाया

दिनेश रामावत,
प्रधान सम्पादक

पहलगाम में पिछले माह अंत में हुए आतंकी हमले और पाक आतंकियों के नापाक मंसूबों को देखते हुए आखिर भारत कब तक चुप बैठता? देश में हर तरफ से आतंकियों के खात्मे की आवाज उठ रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछले दिनों एक सभा में कह दिया था कि पहलगाम हमले के दोषियों को ऐसा सबक सिखाया जाएगा, जिसकी किसी ने कल्पना ही नहीं की होगी। इसके तुरंत बाद उन्होंने तीनों सेनाओं को फ्री हैंड देते हुए कहा कि सख्त कार्रवाई का समय, किस्म और आकार सेनाएं ही तय करेगी, देश को हमारी सेनाओं पर पूरा भरोसा है। उन्होंने जो कहा, वो आखिर मंगलवार की देर रात भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चला कर दिखा भी दिया। रात एक बजे बाद शुरू हुए इस अभियान के तहत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में लश्कर-ए-मोहम्मद के गढ़ बहावलपुर समेत आतंकियों के नौ ठिकाने ध्वस्त करते हुए भारत ने जता दिया कि बहुत जल्द आतंकियों का नामो निशां मिटा दिया जाएगा। हालांकि रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि भारतीय सेना ने किसी भी पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया है। भारत ने लक्ष्य के चयन और क्रियान्वयन के तरीके में काफी संयम दिखाया है। स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की बारीकी से निगरानी की।

अब और नहीं, अब और नहीं…. – राजस्थान टुडे

हैरानी की बात तो ये थी कि गृह मंत्रालय ने बुधवार रात को ‘मॉक ड्रिल’ का ऐलान कर रखा है, और उधर पाकिस्तानी नेता इस ‘मॉक ड्रिल’ का मजाक उड़ाने में व्यस्त थे। किसी को भनक भी नहीं पड़ी कि भारतीय सेना इस ‘मॉक ड्रिल’ के पहले वाली रात क्या करने वाली है।

उल्लेखनीय है धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर पर लौटता अप्रैल एक ऐसा नारकीय दाग लगा गया था कि जिसके बारे में कल्पना करते ही हर कोई सहम जाता है। जम्मू-कश्मीर में पर्यटन सीजन के पीक पर पहुंचने से पहले ही देश के दुश्मन आतंकियों ने पहलगाम की बैसरन घाटी में 26 लोगों को चुन-चुन कर मौत की नींद सुला दिया। इस हमले में सिर्फ पुरुषों की हत्या की गई। महिलाओं और बच्चों के दिलो-दिमाग में जिंदगी भर न भूल सकने वाला मंजर रह गया। मानवता की आवाज उनकी चीखों में कहीं खो गई, लेकिन कथित तौर पर नाम, जाति और धर्म पूछकर की गई सैलानियों की टार्गेट किलिंग सर्वधर्म-समभाव, समरसता और अनेकता में एकता जैसी खासियतों के कारण दुनिया भर में अलग ही पहचान रखने वाले हिन्दुस्तान की आत्मा और आपसी सद्भावना पर एक ऐसा असहनीय हमला था, जिसकी पूरी दुनिया में निंदा हो रही है। हमले के लिए शुरुआती तौर से ही दोषी माना जा रहा हमारा पड़ोसी बेशर्मी से भले ही हमले में उसका हाथ होने से इनकार करे, लेकिन यह किसी से छिपा नहीं है कि किस तरह पाकिस्तान हर बार आतंकियों का पनाहगार-मददगार बनकर दुनिया के सामने आता रहा है। पाकिस्तान के मंत्री ने खुद माना है कि वे अमेरिका व यूरोपीय देशों से मदद के लालच में आतंकी संगठनों की मदद का गंदा काम करते रहे हैं। पहलगाम पर वीभत्स आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के मंत्री की स्वीकारोक्ति भले ही आज हुई, लेकिन भारत कई बरसों से पाकिस्तान की नापाक हरकतों को संयुक्त राष्ट्र व दुनिया के अन्य मुल्कों के सामने प्रामाणिकता के साथ रखता रहा है। यही कारण है कि पहलगाम हमले के बाद से पाकिस्तान अलग-थलग पड़ा हुआ है।

इस बार हमारी कवर स्टोरी में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम हमले के हर पहलू को बारीकी से समझाने की कोशिश की है। सद्भावना पर असहनीय हमले की बात के साथ हम इस बार सद्भावना, अपनी अपणायत और मीठी बोली के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध जोधपुर के स्थापना दिवस पर भी विशेष सामग्री दे रहे हैं। जोधपुर का खानपान ही नहीं, जोधपुर की सूरत-सीरत और यहां के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करती स्टोरीज, उम्मीद है आप लोगों को पसंद आएगी। हर की तरह मई के अंक को भी संग्रहणीय बनाने का प्रयास किया गया है। आपकी प्रतिक्रियाओं का भी इंतजार रहेगा।

शुभकामनाओं के साथ

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अब और नहीं, अब और नहीं….

भारतीय वायुसेना के जवानों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पार किए बिना प्रक्षेपास्त्रों के जरिए ऐसा धावा बोला कि पाकिस्तान और आतंक के आकाओं को भनक तक नहीं लग सकी। भारत ने भारतीय महिलाओं का सिंदूर उजाड़ने वाले हमले का जवाब भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए ही दिया।

आओ, जोधपुर को और समृद्ध व गौरवशाली बनाएं

जब मैं जोधपुर के विशाल किले मेहरानगढ़ की प्राचीरों को निहारता हूं, जब नीली गलियों की ठंडी हवा मुझे छूती है, तब मैं गर्व से भर उठता हूं— गर्व अपने महान पूर्वजों पर, जिन्होंने मरुस्थल में इस स्वप्न-नगरी को बसाया और उसे दुनिया के मानचित्र पर विशिष्ट स्थान दिलाया।

मैं जोधपुर हूं! (आत्मव्यथा)

मुझे कई नामों से पुकारा जाता है— सूर्य नगरी, ब्लू सिटी, जोधाणा। "सूर्य नगरी" इसलिए क्योंकि यहां सूरज की रोशनी सबसे अधिक दर्ज की गई है।

राष्ट्रीय संस्थानों से बनी जोधपुर की वैश्विक पहचान

भारत सरकार के ये संस्थान आज टेक्नोलॉजी, मेडिकल, डिजाइन, मैनेजमेंट, फैशन एजुकेशन, फुटवियर, लॉ, रिसर्च एंड डवलपमेंट, ट्रेनिंग, कंसलटेंसी और दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्रों में बेंचमार्किंग परफॉर्मेंस और प्रोसेस में अहम रोल अदा कर रहे है। जोधपुर में इन संस्थानों में करीब 20 राज्यों के स्टूडेन्ट्स अपना करियर संवार रहें है।

मैजेस्टिक टॉकीज को बचाने के लिए महर्षि ने बेच दिया अपना सबकुछ

क्या आप जानते हैं कि जोधपुर के एक सिनेमा संचालक ने आज़ादी के तुरंत बाद अंग्रेज़ अधिकारियों से कागज़ी लड़ाई लड़ते हुए अपने थिएटर के लाइसेंस को बचाने के लिए अपना सब कुछ बेच डाला था?

सरहदों की निगहबानी में AI का दमखम

AI आधारित स्वायत्त हथियार प्रणाली, निगरानी यंत्र, बारूदी सुरंग डिटेक्टर सहित AI संचालित बख्तरबंद वाहन ही नहीं टैंक, मिसाइल, ड्रोन, लड़ाकू विमान और खोजी रोबो—डॉग्स विकसित किए जा रहे हैं।

अपणायत के लिए ख्यात जोधपुर ने बालीवुड को दिए कई स्टार

यहां की कला और गीत-संगीत से हिंदी सिनेमा भी अछूता नहीं रहा और बोलते सिनेमा के शुरूआती दिनों से ही जोधपुर के कलाकार हिंदी सिनेमा का अटूट हिस्सा बन बैठे। खेमचन्द प्रकाश, महिपाल, सज्जन जैसे जोधपुर के कलाकारों ने सिनेमा के क्षेत्र में भरपूर योगदान दिया।

जोधपुर स्थापना दिवस विशेष – जायकों की जमीन जोधपुर

मारवाड़ की भूमि पर जब सूरज की तपिश रेत से टकराती है, तो वहां के लोग भोजन में छांव ढूंढ लेते हैं— स्वाद की, सादगी की और संस्कारों की। भोजन यहां पेट भरने का मात्र माध्यम नहीं, यह एक सांस्कृतिक आयोजन होता है, जिसमें हर निवाला केवल शरीर को नहीं, आत्मा को भी तृप्त करता है।

कविता कंठस्थ नहीं, हृदयस्थ करें..

बहुत कम कवि ऐसे होते हैं, जो अच्छा लिखते भी है व उसका पाठ भी अच्छा करते हैं। कविता पढ़ने व सुनते वक्त हमारी ज्ञानेंद्रियां सक्रिय होनी चाहिए।

मौन‌ में राजनीति

राजनीति में मौन भी कभी-कभी मुखर विरोध बन जाता है, और शायद समरजीत सिंह का यह मौन भी आने वाले समय में बड़ा संदेश दे जाए। लेकिन सवाल यह है कि क्या पार्टी इस 'मौन' को सुनने को तैयार है या अब उसकी साफ-साफ जवाबदेही लेगी?

फर्जी निकला ‘दिलजला’ दिल का डाक्टर..!

डॉक्टर को दिल को सही करने बजाए यमराज बनकर लोगों के दिलों को डराने में लगा रहा। दिल का डॉक्टर पूरी तरह दिलजला फर्जी निकला।

सुनहरा कल, डगर आसान नहीं

देश की शिक्षण व्यवस्था को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने व शिक्षा पद्धति में आमूलचूल परिवर्तन के उद्देश्य से करीब पांच साल पहले राष्ट्रीय नीति- 2020 के प्रारूप को जारी कर दिया गया।

हंगामा है क्यूं बरपा…!

इस वक्फ कानून को कई मुस्लिम संगठनों और राजनेताओं ने अल्पसंख्यक हितों के खिलाफ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इसके लिए 73 से अधिक याचिकाएं दाखिल की गई हैं। देश के अलग-अलग भागों में इस कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

अब धर्म नहीं, जाति की गिनती होगी

सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि वर्ष 2026 में होने वाली जनगणना में पहली बार सभी जातियों की गिनती की जाएगी। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि देश में नीतियों और राजनीति की दिशा अब केवल धर्म नहीं, बल्कि जाति के आधार पर भी तय होगी।

धरती से अंतरिक्ष तक महिलाओं का परचम

पौराणिक काल से ही नारी ने समाज को दिशा देने का कार्य किया है। लेकिन इन देवी-स्वरूप नारियों की असली विशेषता ये थी कि वे साधारण परिवेश से निकलकर असाधारण कार्यों की प्रेरणा बनीं।

जब दिमाग व अनुभव भी ट्रांसफर होने लगेंगे

दुनिया भर के शोधकर्ता उस तकनीक पर काम कर रहे हैं जो एक व्यक्ति के मस्तिष्क में मौजूद अनुभव, ज्ञान और विचारों को दूसरे व्यक्ति के मस्तिष्क में ट्रांसफर कर सके। अगर ऐसा संभव हो जाता है, तो यह मानव इतिहास की सबसे क्रांतिकारी उपलब्धियों में से एक होगी।

‘जयपुर फुट’, से मिला जीने का हौसला

कभी एक टूटी हुई पगडंडी थी, जिस पर न तो कोई साफ़ रास्ता था, न ही उम्मीदों के कोई निशान। यह पगडंडी एक ऐसे घायल इंसान के आंसुओं से भीगी थी — जिसने चलने की चाह तो रखी, पर पांव नहीं थे। और तब कहीं दूर एक दिल धड़क रहा था, जो उस पगडंडी को राह बनाना चाहता था। उस दिल का नाम है— डी.आर. मेहता।

पहलगाम त्रासदी में झांकता आइना

पहलगाम की वादियों में बर्फ़ की सर्द हवाओं के बीच, एक ख़ून की गर्म बूंद ने गवाही दी कि दुश्मन अब सिर्फ़ सरहद पार से नहीं आता, वह हमारे पूर्वग्रहों, हमारी चुप्पियों और हमारे भेदभाव में भी है।

कांग्रेस के कर्णधारों पर संकट!

बीते 11 सालों में कांग्रेस ने राजनीतिक रूप से लगभग हर चुनाव में मात खाई तो पार्टी के शीर्ष नेताओं ने भी लगातार जनाधार खोया। हाल ये हो गए कि कई नेता भ्रष्टाचार के आरोपों में फंस गए तो कई नेताओं के जेल जाने की नौबत आ गई।

हमले के ‘रिमोट’ पर सवाल

कई लोग भारत- पाकिस्तान के बीच पांचवे युद्ध की आशंका से सहमे हुए हैं तो कई लोग इसे लेकर कयास लगा रहे हैं कि मोदी सरकार का आर या पार इस बार किस किस्म का होगा।