क्षा मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि भारतीय सेना ने किसी भी पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया है। भारत ने लक्ष्य के चयन और क्रियान्वयन के तरीके में काफी संयम दिखाया है। स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की बारीकी से निगरानी की।
भारतीय वायुसेना के जवानों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पार किए बिना प्रक्षेपास्त्रों के जरिए ऐसा धावा बोला कि पाकिस्तान और आतंक के आकाओं को भनक तक नहीं लग सकी। भारत ने भारतीय महिलाओं का सिंदूर उजाड़ने वाले हमले का जवाब भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए ही दिया।
जब मैं जोधपुर के विशाल किले मेहरानगढ़ की प्राचीरों को निहारता हूं, जब नीली गलियों की ठंडी हवा मुझे छूती है, तब मैं गर्व से भर उठता हूं— गर्व अपने महान पूर्वजों पर, जिन्होंने मरुस्थल में इस स्वप्न-नगरी को बसाया और उसे दुनिया के मानचित्र पर विशिष्ट स्थान दिलाया।
भारत सरकार के ये संस्थान आज टेक्नोलॉजी, मेडिकल, डिजाइन, मैनेजमेंट, फैशन एजुकेशन, फुटवियर, लॉ, रिसर्च एंड डवलपमेंट, ट्रेनिंग, कंसलटेंसी और दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्रों में बेंचमार्किंग परफॉर्मेंस और प्रोसेस में अहम रोल अदा कर रहे है। जोधपुर में इन संस्थानों में करीब 20 राज्यों के स्टूडेन्ट्स अपना करियर संवार रहें है।
क्या आप जानते हैं कि जोधपुर के एक सिनेमा संचालक ने आज़ादी के तुरंत बाद अंग्रेज़ अधिकारियों से कागज़ी लड़ाई लड़ते हुए अपने थिएटर के लाइसेंस को बचाने के लिए अपना सब कुछ बेच डाला था?
AI आधारित स्वायत्त हथियार प्रणाली, निगरानी यंत्र, बारूदी सुरंग डिटेक्टर सहित AI संचालित बख्तरबंद वाहन ही नहीं टैंक, मिसाइल, ड्रोन, लड़ाकू विमान और खोजी रोबो—डॉग्स विकसित किए जा रहे हैं।
यहां की कला और गीत-संगीत से हिंदी सिनेमा भी अछूता नहीं रहा और बोलते सिनेमा के शुरूआती दिनों से ही जोधपुर के कलाकार हिंदी सिनेमा का अटूट हिस्सा बन बैठे। खेमचन्द प्रकाश, महिपाल, सज्जन जैसे जोधपुर के कलाकारों ने सिनेमा के क्षेत्र में भरपूर योगदान दिया।
मारवाड़ की भूमि पर जब सूरज की तपिश रेत से टकराती है, तो वहां के लोग भोजन में छांव ढूंढ लेते हैं— स्वाद की, सादगी की और संस्कारों की। भोजन यहां पेट भरने का मात्र माध्यम नहीं, यह एक सांस्कृतिक आयोजन होता है, जिसमें हर निवाला केवल शरीर को नहीं, आत्मा को भी तृप्त करता है।
राजनीति में मौन भी कभी-कभी मुखर विरोध बन जाता है, और शायद समरजीत सिंह का यह मौन भी आने वाले समय में बड़ा संदेश दे जाए। लेकिन सवाल यह है कि क्या पार्टी इस 'मौन' को सुनने को तैयार है या अब उसकी साफ-साफ जवाबदेही लेगी?
देश की शिक्षण व्यवस्था को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने व शिक्षा पद्धति में आमूलचूल परिवर्तन के उद्देश्य से करीब पांच साल पहले राष्ट्रीय नीति- 2020 के प्रारूप को जारी कर दिया गया।
इस वक्फ कानून को कई मुस्लिम संगठनों और राजनेताओं ने अल्पसंख्यक हितों के खिलाफ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इसके लिए 73 से अधिक याचिकाएं दाखिल की गई हैं। देश के अलग-अलग भागों में इस कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि वर्ष 2026 में होने वाली जनगणना में पहली बार सभी जातियों की गिनती की जाएगी। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि देश में नीतियों और राजनीति की दिशा अब केवल धर्म नहीं, बल्कि जाति के आधार पर भी तय होगी।
पौराणिक काल से ही नारी ने समाज को दिशा देने का कार्य किया है। लेकिन इन देवी-स्वरूप नारियों की असली विशेषता ये थी कि वे साधारण परिवेश से निकलकर असाधारण कार्यों की प्रेरणा बनीं।
दुनिया भर के शोधकर्ता उस तकनीक पर काम कर रहे हैं जो एक व्यक्ति के मस्तिष्क में मौजूद अनुभव, ज्ञान और विचारों को दूसरे व्यक्ति के मस्तिष्क में ट्रांसफर कर सके। अगर ऐसा संभव हो जाता है, तो यह मानव इतिहास की सबसे क्रांतिकारी उपलब्धियों में से एक होगी।
कभी एक टूटी हुई पगडंडी थी, जिस पर न तो कोई साफ़ रास्ता था, न ही उम्मीदों के कोई निशान। यह पगडंडी एक ऐसे घायल इंसान के आंसुओं से भीगी थी — जिसने चलने की चाह तो रखी, पर पांव नहीं थे। और तब कहीं दूर एक दिल धड़क रहा था, जो उस पगडंडी को राह बनाना चाहता था। उस दिल का नाम है— डी.आर. मेहता।
पहलगाम की वादियों में बर्फ़ की सर्द हवाओं के बीच, एक ख़ून की गर्म बूंद ने गवाही दी कि दुश्मन अब सिर्फ़ सरहद पार से नहीं आता, वह हमारे पूर्वग्रहों, हमारी चुप्पियों और हमारे भेदभाव में भी है।
बीते 11 सालों में कांग्रेस ने राजनीतिक रूप से लगभग हर चुनाव में मात खाई तो पार्टी के शीर्ष नेताओं ने भी लगातार जनाधार खोया। हाल ये हो गए कि कई नेता भ्रष्टाचार के आरोपों में फंस गए तो कई नेताओं के जेल जाने की नौबत आ गई।