कल्पना कीजिए एक ऐसी रसोई की, जहाँ चूल्हा सिर्फ गैस से नहीं, जुनून और ज़ज्बे से जलता है। जहाँ हर कटिंग बोर्ड पर सिर्फ सब्ज़ियाँ नहीं, भविष्य की उम्मीदें तराशी जाती हैं। मणिपाल यूनिवर्सिटी जयपुर की होटल मैनेजमेंट टीम ने जब भारत का सबसे बड़ा वेजिटेरियन शाक्षुका बनाया, तो उन्होंने सिर्फ एक डिश नहीं पकाई — उन्होंने साहस, सहयोग और सृजन का स्वाद दुनिया को चखाया।
323.7 किलो की यह डिश प्रतीक है उस सोच की, जो कहती है – “अगर दिल से चाहो, तो रेसिपी सिर्फ स्वाद की नहीं, इतिहास की भी बन सकती है।”
इस प्रयास में शामिल 69 विद्यार्थियों और 4 प्रोफेशनल शेफ्स ने मिलकर यह दिखाया कि शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं होती। जब क्लासरूम की सीमाएं किचन तक बढ़ती हैं, तब एक छात्र सिर्फ डिग्री का हकदार नहीं, प्रेरणा का पात्र बनता है।
डॉ. सौरभ शर्मा के नेतृत्व में तैयार यह शाक्षुका एक टीम की तरह था — हर सामग्री का अपना महत्व, हर हाथ का अपना योगदान। 1 घंटा 23 मिनट में तैयार हुई यह डिश हमें सिखाती है कि समय सीमित हो सकता है, लेकिन अगर प्रयास असीम हो, तो कोई भी रिकॉर्ड पिघल सकता है।
इस आयोजन ने यह भी साबित किया कि शिक्षा का असली उद्देश्य न केवल ज्ञान देना है, बल्कि विद्यार्थियों को आत्मविश्वास, नेतृत्व और नवाचार के स्वाद से रूबरू कराना है।
यह शाक्षुका एक रेसिपी नहीं, एक कहानी है — स्वाद में समर्पण की, आकार में सहयोग की, और परिणाम में प्रेरणा की।
शाक्षुका एक मिडिल ईस्टर्न डिश है, जिसे आमतौर पर टमाटर और मसालों के साथ पकाया जाता है — इसे अंग्रेज़ी में भी Shakshuka ही कहते हैं।