अचल सिंह मेड़तिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के ‘विकास भी विरासत भी’ के विजन के तहत विगत दस वर्षों में पर्यटन क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार हुए हैं, जिससे भारतीयों को न केवल सामाजिक-आर्थिक, बल्कि बौद्धिक रूप से भी लाभ हुआ है। देश ने 2014 के बाद से अपनी नीतियों और आकांक्षाओं में काफी परिवर्तन देखा है, जो विकास और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के एक नए युग की शुरुआत है। पर्यटन को ‘विकसित भारत’ के निर्माण का अभिन्न अंग बनाने के लिए तीव्र प्रयास किए जा रहे हैं। पर्यटन क्षेत्र में कुल 76.17 मिलियन नौकरियां सृजित की गई हैं। ‘पर्यटन मित्र’ और ‘पर्यटन दीदी’ कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। विदेशी मुद्रा आय 28.07 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है, जो 2014 की तुलना में 42.53 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
घरेलू पर्यटकों की संख्या में 95.64 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। वैश्विक यात्रा और पर्यटन विकास सूचकांक में भारत की रैंकिंग 65 से सुधरकर 39 हो गई है। गंतव्य विकास परियोजनाओं पर 6,800 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं। विभिन्न राज्यों में कम ज्ञात पर्यटन स्थलों के विकास के लिए 3,295.76 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। ई-पर्यटक वीजा सुविधा आगंतुकों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुई है।
समग्र सरकारी दृष्टिकोण के माध्यम से पर्यटन मंत्रालय ने सफलतापूर्वक एक ऐसा ईको-सिस्टम बनाया है, जो न केवल दोनों क्षेत्रों के हितधारकों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान करता है, बल्कि महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास को भी बढ़ावा देता है। यह दृष्टिकोण स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा करने में भी कारगर साबित हुआ है। पर्यटन क्षेत्र 2047 तक विकसित भारत में योगदान देने की राह पर है। लगभग 1,50,000 किलोमीटर सड़क नेटवर्क बिछाया गया है, 500 से अधिक नए हवाई मार्ग और 150 से अधिक नए हवाई अड्डे से हवाई संपर्क में वृद्धि हुई है, हाईस्पीड वंदे भारत ट्रेनें शुरू की गई है। लगभग 100 पर्यटन इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को पूरा किया गया है। भारत की जी-20 अध्यक्षता ने वैश्विक स्तर पर 60 से अधिक गंतव्यों को दृश्यता प्रदान की है। स्वच्छ भारत के कारण स्वच्छ गंतव्य, यूपीआई के माध्यम से बेहतर सुविधा और डिजिटल कनेक्टिविटी – ‘सम्पूर्ण सरकार का दृष्टिकोण’ के कारण पर्यटन नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है।
पिछले दशक में सरकार ने स्वदेश दर्शन और प्रसाद जैसी प्रमुख योजनाओं के माध्यम से 6,800 करोड़ रुपये से अधिक की कुल लागत से लगभग 120 परियोजनाओं को पूरा करके समग्र गतव्य विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। देश में कम ज्ञात पर्यटन स्थलों को सामने लाने के लिए, राज्यों को पूंजी निवेश के लिए विशेष सहायता के अंतर्गत 3,295.76 करोड़ रुपये की कुल लागत से पर्यटन इन्फ्रास्ट्रक्चर और पर्यटक अनुभव को बढ़ाने के लिए 23 राज्यों में 40 उच्च प्रभाव परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। परियोजनाओं के रूप में पूंजी निवेश को बढ़ावा देकर यह योजना स्थानीय अर्थव्यवस्था के विकास और स्थायी पर्यटन परियोजनाओं के माध्यम से रोजगार के अवसरों के सृजन की परिकल्पना करती है।
पर्यटन मित्र और पर्यटन दीदी कार्यक्रम की शुरुआत 6 गंतव्यों में कार्यक्रम के पायलट के हिस्से के रूप में लगभग 3,500 पर्यटन सेवा प्रदाताओं को प्रशिक्षित करने के साथ की गई थी, साथ ही 45 अन्य गंतव्यों में पहल को लागू किया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पर्यटकों को गंतव्यों में सकारात्मक और स्वागत करने वाला अनुभव मिले। गंतव्य में जमीनी स्तर पर बेहतर प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए कार्यक्रम को मजबूत और संवर्धित किया जा रहा है। पर्यटन मंत्रालय ने पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र के लिए उद्योग का दर्जा प्रदान करने और उसे तागू करने में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रयासों का समर्थन करने के लिए प्रत्येक चरण में मार्गदर्शन प्रदान करने वाली एक पुस्तिका जारी की है, जिसका उद्देश्य राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में इस क्षेत्र में अधिक निवेश आकर्षित करना और रोजगार के अवसर पैदा करना है।
भारत से फ्रांस की अटूट मित्रता का यह एक अद्वितीय प्रमाण होगा
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और फ्रांस म्यूज़ियम डेवलपमेंट ने नई दिल्ली में बन रहे विश्व के सबसे बड़े युग युगीन राष्ट्रीय संग्रहालय को लेकर गत दिनों एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। यह महत्वाकांक्षी परियोजना केंद्रीय विस्टा पुनर्विकास परियोजना का अभिन्न हिस्सा है और नार्थ व साउथ ब्लॉक में लगभग 1,55,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली है।
युग युगीन भारत राष्ट्रीय संग्रहालय के एमओयू पर हस्ताक्षर के ये क्षण अत्यंत विशेष रहे, जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस संकल्पना के साकार होने का ऐतिहासिक अवसर होगा। भारत की संस्कृति व विरासत की महानता और चिरकालीन भव्यता दुनिया के इस सबसे विशाल म्यूजियम में नजर आएगी। भारत से फ्रांस की अटूट मित्रता का भी यह एक अद्वितीय प्रमाण होगा। युग युगीन संग्रहालय भारत की गहरी सांस्कृतिक धरोहर को फ्रांस के संग्रहालय प्रबंधन और डिजाइन में विशेषज्ञता के साथ संयोजित करके एक वैश्विक सांस्कृतिक स्थल के रूप में कार्य करेगा। इस सहयोग के माध्यम से भारत और फ्रांस अपनी सांस्कृतिक साझेदारी को मजबूत करते हुए, धरोहर संरक्षण में अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों के लिए एक मापदंड स्थापित करेंगे।
भारत के प्रति दुनिया का आकांक्षा और कौतूहल का भाव बढ़ा है
भारत ने आर्थिक दृष्टिकोण से जिस गति के साथ में प्रगति की है, पूरा विश्व चमत्कृत दृष्टि से हमारी ओर देख रहा है। भारत को जानने, नए सिरे से पहचानने, भारत के प्रति आकांक्षा और कौतूहल का भाव पूरे विश्व भर में बढ़ा है। जो आने वाले समय में पर्यटकों की बढ़ती हुई संख्या को परिलक्षित करेगा। भारत की बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था और सरकार के विभिन्न प्रयासों के चलते लोग गरीबी रेखा से बाहर निकाल कर मध्यम वर्ग की श्रृंखला में आए हैं। ऐसे लोग जब अपने घर से बाहर निकालकर देश को जानने के लिए धार्मिक स्थलों और अन्य पर्यटन स्थलों पर जिस दृष्टिकोण से जा रहे हैं, जिस गति के साथ जा रहे हैं, उससे बड़ी उछाल पर्यटकों की संख्या में दिखाई दी है।
नए पर्यटक स्थल विकसित कर रहे हैं
आने वाले समय में पर्यटकों की संख्या की गति और बढ़ेगी। इसी के चलते हुए भारत सरकार ने मौजूदा पर्यटन स्थलों के साथ वैकल्पिक पर्यटन विकास पर जोर दिया है। पर्यटकों का दबाव कम करने के लिए हम और नए पर्यटक स्थल विकसित कर रहे हैं। अभी हाल में हमने 3300 करोड़ रुपए की परियोजना स्वीकृत की हैं। हम राज्यों के साथ मिलकर इस दिशा में और पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। पर्यटकों के दबाव के चलते हुए इंफ्रास्ट्रक्चर पर जिस तरह से दबाव बनता है, उसको लेकर भी प्रयास जारी हैं।
गजेन्द्र सिंह शेखावत
केन्द्रीय संस्कृति एवम् पर्यटन मंत्री
भारत सरकार