ट्रम्प की नई टैरिफ नीति ने दुनिया भर के शेयर बाजारों में कोहराम मचा कर रख दिया है। जितना एक साल में नहीं गिरा, वो बाजार सोमवार को एक ही दिन के कारोबार में नीचे आ गया। घरेलू शेयर बाजार भी इस कोहराम नहीं बच पाए। सोमवार सवेरे बाजार खुलने के साथ ही सेंसेक्स चार हजार अंक नीचे सरक गया, जबकि निफ्टी में भी 900 अंक से ज्यादा गिरावट देखी गई। एक अनुमान के अनुसार इस कोहराम में निवेशकों के 19.4 लाख करोड़ रुपए निपट गए।
ब्लैक मंडे का था ऐलान
टैरिफ वार इतना गहरा गया है कि बाजार के भविष्य वक्ताओं ने पहले ही ब्लैक मंडे का ऐलान कर रखा था। भारत का मुंबई शेयर बाजार भी इससे कहां बचने वाला था। निफ्टी में गत दस माह की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली। इससे पहले शेयर बाजार में इतनी बड़ी गिरावट 4 जून 2024 को लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद देखने को मिली थी। ये सही है कि मार्च माह में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने भारतीय शेयरों की निचले भावों पर खरीदारी शुरू कर दी थी, लेकिन 7 अप्रैल को एक बार फिर बिकवाली का दौर चला दिया है।
ब्याज दरों में कटौती की संभावना
आरबीआई एमपीसी की तीन दिवसीय बैठक 7 अप्रैल को शुरू हो गई है। निवेशकों को अनुमान है कि बढ़ते वैश्विक जोखिमों को देखते हुए आरबीआई नीतिगत ब्याज दरों में कटौती कर सकता है।
13 लाख करोड़ का नुकसान
सोमवार को मुम्बई शेयर बाजार के सभी सेक्टर के सूचकांक में जमकर बिकवाली देखी गई। मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक क्रमशः 3.8 फीसदी और 4.5 फीसदी तक नीचे उतर गए। लगभग सभी सेक्टर के सूचकांक लाल निशान में बंद हुए। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 2226.79 अंक यानी 2.95 फीसदी की गिरावट के साथ 73,137.90 के स्तर पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 742.85 अंक यानी 3.24 फीसदी की गिरावट के साथ 22,161.60 के स्तर पर बंद हुआ। आज के कारोबार में ट्रैंट, टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, हिंडाल्को और एलएण्डटी प्रमुख रूप से नीचे गिरने वाले शेयर रहे। इसके विपरीत हिन्दुस्तान यूनिलीवर टॉप गेनर रहा। एक अनुमान के मुताबिक बीएसई में सूचीबद्ध कम्पनियों का मार्केट कैप एक ही दिन के कारोबार में करीब 13.42 लाख करोड़ रुपए घटा है।
आखिर क्यों मचा है कोहराम
डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ से दुनियाभर में असमंजस का दौर जारी है। वैश्विक गिरावट का असर भारतीय निवेशकों के मनोबल पर भी पड़ा है। ट्रम्प की टैरिफ नीति से निवेशकों को महंगाई बढ़ने और कंज्यूमर सेंटीमेंट कमजोर होने की आशंका है। ऐसा माना जा रहा है कि इससे ग्लोबल इकोनॉमी पर असर पड़ सकता है।