बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए “ओवरथिंकिंग” से बचना जरूरी

– राकेश गांधी –

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में व्यक्ति अपने विचारों के जाल में इतना उलझता जा रहा है कि धीरे- धीरे ये उसके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने लगा है। ओवरथिंकिंग या बेवजह अत्यधिक चिंतन से दिमाग में तरह-तरह के सवाल और चिंताएं उठने लगती हैं, जो इंसान को रात-दिन परेशान करती हैं। फिजूल के विचारों में उलझे ऐसे व्यक्ति दूसरों के कामकाज में इतना मानसिक हस्तक्षेप करने लगे हैं कि वे धीरे- धीरे खुद अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। वे भूल जाते हैं कि वे खुद किस रास्ते पर चल रहे थे और क्या करने जा रहे थे। इस तरह के अत्यधिक चिंतन या सोच के चलते इंसान खुद को कई तरह की बीमारियों से ग्रस्त कर लेता है। ऐसे हालात से निपटने के लिए मेडिटेशन, सुबह की सैर, क्लासिकल संगीत के साथ- साथ मौन कई बार बेहतरीन दवा का काम करते हैं।

ज्यादा सोचने से दुनिया नहीं बदलने वाली

खुद को नियंत्रित करने व अपने लक्ष्य पर बने रहने के लिए यह बहुत जरूरी है कि लोग अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें। अपने विचारों को नियंत्रित करने व जीवन में अधिक शांति और संतुष्टि प्राप्त करने के लिए के लिए कुछ समय जरूर निकालें। व्यक्ति को ये समझ लेना भी जरूरी है कि उसके बहुत ज्यादा सोचने से दुनिया नहीं बदलने वाली। ऐसे में बेहतर यही है कि जितना जरूरी हो, उतना ही चिंतन करें और खुद को अपने काम में व्यस्त रखें।

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ओवरथिंकिंग या विचारों का अत्यधिक प्रवाह एक ऐसी स्थिति है जब व्यक्ति को अपने विचारों और चिंताओं को नियंत्रित करने में कठिनाई होती है। यह व्यक्ति को अत्यधिक तनाव, चिंता और अवसाद की ओर ले जा सकता है। व्यक्ति को अपने विचारों और कार्यों का अत्यधिक विश्लेषण करने से भी ओवरथिंकिंग की समस्या होने की आशंका रहती है। उसकी आंखों के सामने अंधेरा सा दिखाई देने लगता है। दिमाग में अशांति से कुछ भी सही प्रतीत नहीं होता। ओवरथिंकिंग अनिश्चितता, असुरक्षा, अवसाद, चिंता व विकार का कारण बन जाती है। ऐसे में व्यक्ति न केवल अपने मानसिक स्वास्थ्य को खराब कर लेता है, बल्कि उसे नींद न आने की समस्या भी होने लगती है। जब एक व्यक्ति मानसिक तौर पर स्वस्थ नहीं रह पाता तो उसे जीवन में सामाजिक और पेशेवर समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। ऐसे हालात से बचने के लिए व्यक्ति को अपने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चौकन्ना हो जाना जरूरी है। नियमित ध्यान और माइंडफुलनेस उसे वर्तमान में रहने और अपने विचारों को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। व्यायाम और शारीरिक गतिविधियों से तनाव और चिंता को कम किया जा सकता है।

घर में सुकून भरा वातावरण

एक अच्छा व भावनाओं को समझने वाला दोस्त पीड़ित व्यक्ति को अपने विचारों और भावनाओं को साझा करने में मदद कर सकता है। कई बार ज्यादा परेशानी होने पर अकेले में आंसू बहाना भी मन को हल्का कर देता है। बहुत ज्यादा परेशानी होने पर ही मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों से परामर्श लेना ठीक रहता है। इंसान का पहला प्रयास परिवार के साथ रहते हुए खुश रहना होना चाहिए। इसके बाद ही बाहरी दुनिया को खुश रखने की सोचना चाहिए। वरना कई बार लोग दूसरों के सामने बहुत अच्छे से पेश आते हैं, जैसे उनके जैसा श्रेष्ठ इंसान कोई है ही नहीं, लेकिन घर आते ही वे इतने बौखला जाते हैं जैसे किसी ने काट खाया हो। ये सब मानसिक अस्वस्थता के संकेत हो सकते हैं। ऐसे में जरूरी है पहले घर में सुकून का वातावरण बनाएं, ताकि आप खुद में प्रसन्नता व शांति महसूस कर सकें। इसके साथ ही क्लासिकल या मधुर संगीत के वातावरण में खुद को डुबोने का प्रयास करें, जिससे कुछ समय आपका दिमाग व्यर्थ की चिंताओं से दूर हो सके। अच्छे प्रेरणादायी विचार पढ़ना या लिखना भी कई बार अच्छा महसूस कराता है। मानसिक रूप से स्वस्थ रहने पर ही इंसान आगे बढ़ सकता है, कुछ नया कर सकता है और अपने आसपास के लोगों को प्रसन्न रख सकता है।

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