राजेन्द्र सिंह लीलिया
जनसंपर्क अधिकारी,
उम्मेद भवन पैलेस,जोधपुर।
जोधपुर के महाराजा गज सिंह मारवाड़ की कला, साहित्य, संस्कृति एवं विरासत के संरक्षक के रूप में अपनी बेहतरीन भूमिका हमेशा निभा रहे हैं। आपकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मारवाड़ के सांस्कृतिक दूत की भूमिका है। महाराजा गज सिंह देश व विदेश में लोकप्रिय व्यक्तियों में गिने जाते हैं। देश के पूर्व राज परिवारों में आपकी अच्छी छवि मानी जाती है। लोगों से आपका गहरा व अपनापन का जुड़ाव है।
मारवाड़ की जनता से अपणायत के रिश्ते
देश में प्रजातंत्र के बाद में भी जोधपुर के राज परिवार व महाराजा गज सिंह के प्रति मारवाड़ की प्रजा के सभी जाति, धर्म, समाज के लोगों में बहुत सम्मान है। मारवाड़ की जनता के साथ अपणायत भरे रिश्ते हैं। आपका हर समाज के साथ गहरा जुड़ाव है। सभी धर्म व समाज के समारोह में आप शिरकत करते हैं। महाराजा गज सिंह हमेशा कहते हैं कि मेरी पहचान मारवाड़ की जनता से है। ‘‘म्हारी ओलखाण आपसूं‘‘ हैै।
राजदादीसा व राजमातासा के संस्कार
महाराजा गज सिंह का जन्म 13जनवरी 1948 को हुआ। इनके जन्म के 4 वर्ष बाद पिता महाराजा हनवन्त सिंह का 26 जनवरी 1952 को विमान दुर्घटना में निधन हो गया। यह समय जोधपुर राज परिवार के लिए अनुकूल नहीं था। युवराज गज सिंह का 12 मई 1952 को महाराजा के रूप में राजतिलक हुआ। ऐसे समय में स्वर्गीय महाराजा उम्मेद सिंह की धर्मपत्नी राजदादीसा बदन कंवर ने इस विकट समय में राजपरिवार के संरक्षक की बेहतर भूमिका निभाते हुए परिस्थितियों को सही तरह से संभाला एवं स्वर्गीय महाराजा हनवन्त सिंह की धर्मपत्नी राजमाता कृष्णा कुमारी ने महाराजा गज सिंह का राजसी परम्परानुसार बेहतर लालन-पालन किया व संस्कारवान बनाया।
विदेश में उच्च शिक्षा, पर संस्कार भारतीय
महाराजा गज सिंह ने इंग्लैंड में कोटहिल हाउस ईटन कॉलेज व क्राइस्टचर्च ऑक्सफोर्ड से 1970 में उच्च शिक्षा प्राप्त की। राजनीति, अर्थशास्त्र व दर्शन शास्त्र में ग्रेजुएशन (ऑनर्स) और एम. ए किया। विदेश में पढ़ाई के बावजूद भी अपने संस्कार कायम रखे।
विदेश से लौटने पर हुआ ऐतिहासिक स्वागत
महाराजा गज सिंह के विदेश से उच्च शिक्षा प्राप्त कर जोधपुर आने पर 11 नवंबर 1970 को रेलवे स्टेशन से मेहरानगढ़ में मां चामुंडा मंदिर में दर्शन कर फिर उम्मेद भवन पैलेस पहुंचने तक मारवाड़ की जनता ने जगह-जगह ऐतिहासिक व शानदार स्वागत किया।
महारानी हेमलता राज्ये का बेहतरीन साथ
महाराजा गज सिंह का विवाह 19 फरवरी 1973 को पुंछ राज परिवार में राजा शिवरतन सिंह देव की पुत्री राजकुमारी हेमलता राज्ये के साथ संपन्न हुआ। हमेशा अपनापन, सजग व सक्रिय एवं लोगों से सीधे जुड़ाव रखने वाली महारानी हेमलता राज्ये जीवन संगिनी के रूप में महाराजा गज सिंह के हर कार्य, विचार व सोच में पूरा सहयोग रखती है। उनके हौसलों व इरादों को मजबूती प्रदान करती है।
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक दूत की भूमिका
महाराजा गज सिंह देश-विदेश में अपने मारवाड़ व जोधपुर की कला, संस्कृति, पर्यटन, विरासत की पहचान बनाने में सांस्कृतिक दूत की भूमिका निभा रहे हैं।
कला व संस्कृति एवं इतिहास संरक्षण के आयोजन
महाराजा गज सिंह के मुख्य संरक्षण में कला व संस्कृति को बढ़ावा देने व इतिहास संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। राजस्थान के लोक कलाकारों को नई पहचान देने के लिए मेहरानगढ़ फोर्ट में प्रतिवर्ष सूफी फेस्टिवल व जोधपुर रिफ जैसे बड़े आयोजन करवाए जाते हैं, जिसमें स्थानीय व देशी-विदेशी कलाकारों को एक मंच मिलता है। इसके साथ ही मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट व महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश केन्द्र द्वारा अनेक अंतरराष्ट्रीय-राष्ट्रीय संगोष्ठियों व समारोहो का आयोजन व पुस्तकों का प्रकाशन व शोध कार्य हो रहा है।
मारवाड़ की प्रतिभाओं का संरक्षण व सम्मान
प्रत्येक वर्ष 12 मई को जोधपुर स्थापना दिवस समारोह में मारवाड़ की विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली प्रतिभाओं को मेहरानगढ़ दुर्ग में मारवाड़ रत्न सम्मान से सम्मानित किया जाता है। वीर दुर्गादास राठौड़ जयंती समारोह पर भी मारवाड़ की प्रतिभाओं का सम्मान किया जाता है। उम्मेद भवन पैलेस मे तिथि के अनुसार आयोजित जन्मदिन पर परंपरा अनुसार सम्मान प्रदान किए जाते हैं।
अनेक उच्च पदों पर बेहतरीन कार्य
महाराजा गज सिंह ने जिस पद पर भी कार्य किया, अपनी प्रभावी छाप छोड़ी। 1971 से 1980 तक वेस्टइंडीज के ट्रिनिडाड व टोबगो में भारतीय उच्चायुक्त रहे, यह समय याद करने योग्य है। 22 मार्च 1990 से 4 जून 1992 तक राज्यसभा में निर्दलीय व निर्विरोध सांसद रहते हुए संसद में अपनी अलग पहचान बनाई। 1994 से 1998 तक आर टी डी सी के चेयरमैन रहते हुए राजस्थान में पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण कार्य किया।
अनेक संस्थाओं को मिल रहा है संरक्षण
महाराजा गज सिंह अनेक संस्थाओं, संगठनों, ट्रस्टों, चैरिटेबल ट्रस्टों के मुख्य संरक्षक व अध्यक्ष के पदों पर पदस्थापित हैं। देशभर में अनेक संस्थाओं के चेयरमैन हैं। इन संस्थाओं को अपनी कार्यशैली व व्यक्तित्व से आगे बढ़ाने की प्रभावी भूमिका में रहते हैं। **